Thursday, October 07, 2004

किस्सा ए रिमोट

मैने आपको अपने पिछले लेख मे छुट्टन मिंया के बारे मे बताया था, आइये इस बार उनके करैक्टर पर भी कुछ रोशनी डाले.छुट्टन मिंया बहुत ही भले आदमी है, हमेशा सेवा मे तत्पर,उम्दा खाना बनाने मे उस्ताद,सौ फीसदी वफादार,काम मे कुशलता और ना जाने क्या क्या...... .. अरे ये क्या मै कोई छुट्टन पर निबन्ध लिखने बैठा हूँ क्या......

छुट्टन पहले कंही और टंगे हुए थे, मिर्जा साहब की बेगम की सहेली के घर... जब वो लोग अमेरिका टरक गये तो मिसेज मिर्जा छुट्टन मिंया को अपने घर उठा लायी, तब से वो फैमिली मेम्बर की तरह से रहते है, इनको वो पूरे हक मिले हुए है जो घर के दूसरे मेम्बर्स को मिले हुए है.पहले मिर्जा छुट्टन को पसन्द नही करते थे.. कहते थे बेगम का चमचा है और मेरी सारी खबरे उन तक पंहुँचाता है.बात सही भी थी, बेगम साहिबा का लाडला था,छुट्टन, और खबरे इधर उधर करने मे भी उसका जवाब नही. लेकिन एक बार मिर्जा बीमार पड़ गये, तो छुट्टन ने उनकी इतनी सेवा की, कि मिर्जा की सारी नाराजगी दूर हो गयी, तब से छुट्टन उनके बेटे की तरह से है.फिर बेगम साहिबा बच्चो की पढाई के चक्कर मे कनाडा चली गयी, तब से छुट्टन मिंया पर घर और मिर्जा दोनो की जिम्मेदारी आ गयी. अपने मिर्जा साहब ने कनाडा जाने इन्कार कर दिया था,बोले जिन्दगी के तीस साल कुवैत मे गुजार लिये, सारे दोस्त यार यंही है,अब कंहाँ फिर से ठिकाना बदलते फिरे.बस यंही पर गलती हो गयी... कनाडा वाले बच गये और कुवैत वाले तो खैर झेल ही रहे है, मिर्जा अभी तक कुवैत मे अटके है और छुट्टन लगा पड़ा है.. यहाँ के लाइव अपडेट कनाडा भेजने मे.मजाल है जो एक भी खबर मिस हो जाये.....

छुट्टन मिंया को एक ही शौक है, हिन्दी फिल्मे देखने का, कुवैत का ऐसा कोई वीडियो पार्लर नही होगा जहाँ छुट्टन मिंया के पांव ना पड़े हो.वीडियो पार्लर वाले तो उन्हे देखते ही, बाकी कस्टमर को किनारे करके उन्हे अटैण्ड करते है.उनका फिल्मी ज्ञान भी हम सबसे बेहतर है....अच्छा है हमे हिन्दी सिनेमा पर भी एक कंसलटैन्ट मिल गया. और छुट्टन मिंया गाना तो इतना अच्छा गाते है कि कई बार धोखा हो जाता है कि पीछे सीडी चलाकर,कही छुट्टन मिंया सिर्फ लिप्स मूवमेंट ही तो नही कर रहे है.हाँ छुट्टन मिंया फिल्म मे इतना खो जाते है कि गाने के बीच बीच मे कई बार आंखे बन्द कर लेते है, एक खराब आदत भी है...पिछली देखी फिल्म के हीरो की नकल करने की,और सामने वाले पर डायलाग मारने की....अब चाहे हीरो सलमान खान हो या शाहरूख विक्टिम बेचारे मिर्जा हो जाते है.............. मिर्जा ने उन पर मार‍धाड़ वाली फिल्मे जैसे अक्षय कुमार वाली फिल्मे देखने पर रोक लगा रखी है....क्यों.?....... अरे भाई एक बार छुट्टन मिंया ने अपने को अक्षय कुमार और मिर्जा को अमरीश पुरी समझ कर, पूरा एक्शन सीन शूट कर दिया था,बाद मे मिर्जा के कमर मे तीन हफ्ते तक दर्द रहा था, बेगम का ख्याल ना होता तो छुट्टन मिंया की छुट्टी हो चुकी होती......... .........फिर भी कभी कभी छुट्टन मिंया छिपते छुपाते एक्शन मूवी देख ही लेते है, अब छुट्टन मिंया के इरादे जैकी चान की फिल्मे देखने का है, और हमेशा एक्शन मूवी की एक दो डीवीडी अपने पास रखते ही है....जैकी चान वाली कहानी फिर कभी... ..हम जब भी छुट्टन मिंया से मिलते है तो पूछना नही पड़ता कि आसपास कौन सी फिल्म देखी है.. उनके एक्शन देख कर ही पता चल जाता है.

छुट्टन मिंया और मिर्जा दोनो हिंदी फिल्मे साथ साथ बैठ कर देखते है, पहले रिमोट मिर्जा के हाथ रहता था.. फिर एक दिन सब कुछ बदल गया, तब से फिल्म देखने की पहली कन्डीशन होती है कि वीडियो का रिमोट छुट्टन मिंया रखेंगे.. उस बदलाव के दिन हुआ यों कि दोनो लोग एक साथ फिल्म देख रहे थे...बहुत ही सही सीन चल रहा था.... डायरेक्टर के कहे मुताबिक हीरो को हिरोइन के पास गाना गाता हुए आना था, गले मे बांहे डाल कर, एक जोरदार चुम्बन लेना था, फिल्म का हीरो गाना गाता हुआ हिरोइन के पास आया.. मिर्जा का दिल धड़कने लगा,हीरो आगे बढ,मिर्जा यहाँ तक तो बर्दाश्त कर गये.. अब हीरो ने अपनी बांहे हिरोइन के गले मे डाल दी... मिर्जा यहाँ तक भी खून का घूंट पी गये.. जैसे ही मामला चुम्बन की तरफ बढा.. मिर्जा ने उठाया रिमोट और रिवाइन्ड कर दिया.. हीरो फिर गाना गाता हुआ आया... हीरो...गाना...हिरोइन....बांहे.... फिर रिवाइन्ड, हीरो.....गाना.... हिरोइन.....बांहे.......रिवाइन्ड. हीरो.....गाना.... हिरोइन.....बांहे.......रिवाइन्ड.

ये चलता रहा चलता रहा...मिर्जा हीरो को हिरोइन के पास जाने ही नही दे रहे थे.चुम्बन तो वो क्या खाक लेता.छुट्टन मिंया जो गाने के बीच मे आंखे बन्द कर चुके थे.. अचानक नींद से जागे.....पहले तो उन्हे कुछ माजरा समझ मे नही आया...फिर जब कुछ पल्ले पड़ा तो खटाक से रिमोट पर कूदे, जेब के हवाले किया या कहो हथिया लिया, मिर्जा ने ऐतराज किया तो छुट्टन मिंया ने एक्शन मूवी चलाने की धमकी दे डाली, मिर्जा ने हथियार डाल दिये.......उधर हीरो ने भी चैन की सांस ली, बहुत थक गया था, लौट लौट कर...... इधर मिर्जा से भी बर्दाश्त नही हुआ, उन्होने आंखे बन्द कर ली, हीरो ने बाकी बचा खुचा काम जल्दी जल्दी निबटाया......छुट्टन मिंया फिर फिल्म मे रम गये.......रही बात रिमोट की तब से रिमोट छुट्टन के ही पास रहता है.

छुट्टन मिंया ने इस परिवार को अपने परिवार से भी ज्यादा चाहा...हमेशा ध्यान रखा, हाँ कभी कभी मिर्जा जब ज्यादा परेशान करने लगते है तो हाई कमान को खबर कर देते है, वहाँ से फरमान जारी होता है जो दोनो पक्षो को मान्य होता है... अगर राजनीतिक तरीके से देखा जाये तो मिर्जा का घर पंजाब की सरकार की तरह से है....
मिर्जा साहब :कैप्टन अरमिन्दर सिंह
छुट्टन :भट्टल
मिसेज मिर्जा. : मैडम सोनिया



आपको यह सब कैसा लगा... और बताइयेगा आप और क्या पढना चाहते है..

जरूर लिखियेगा............... वरना मै मिर्जा को आपका ईमेल एडरैस दे दूंगा, फिर आप जानो और मिर्जा....बाद मे मत बोलना.
जीतेन्द्र चौधरी
jitu9968@gmail.com

1 comment:

अनूप शुक्ल said...

कहानी तो चकाचक है पर आप प्रकाशसिंह बादल को कहां छोड दिये?कहीं वो बुरा ना मान जायें.