Thursday, September 23, 2004

उमा दीदी का रूठना

अब लो.. उमा दीदी फिर रूठ गयी. बोलती है तिरन्गा यात्रा के बाद राजनीति से सन्यास ले लेंगी. ये भी कोई बात हूई, माना कि आपकी तिरन्गा यात्रा को इतना भाव नही मिल रहा है,राज्यो की बीजेपी इकाईया आपके स्वागत मे पलके नही बिछा रही, आपके चहेते प्रहलाद पटेल का टिकट कट गया है, ऊपर से वैंकया नायडू से भी मामला छत्तीस का हो रहा है और सुषमा स्वराज भी मौका तलाश रही है, मुख्यमन्त्री पद बलिदान हो गया सो अलग से....लेकिन आपको ऐसा नही बोलना चाहिये था.. महाराष्ट्र के चुनाव सर पर है..(वैसे भी चुनाव मुद्दो का टोटा है), लालू के गाँव मे भी चुनाव जल्दी होने है.. इसलिये अभी नाराज होने का समय नही है.. कम से कम बीजेपी का तो सोचो.

लेकिन दीदी क्या करे? नाराज होने की पारिवारिक प्रथा है.. भइया स्वामी प्रसाद लोधी को ही ले.... हर दो तीन दिन मे नाराज हो जाते है...और दीदी के लिये मुसीबत खड़ी कर देते है.अब दीदी की नाराजगी से भाजपा के लिये तो सरदर्द पैदा हो ही गया है.

अन्तिम समाचार मिलने तक.....प्रहलाद पटेल ने पर्चा दाखिल कर दिया है,भाजपा की तरफ से सीजफायर जैसा बयान दिया गया...

और ये क्या... दीदी फिर पलटी खा गयी.... बोली सन्यास की तो बात ही नही कही थी...मै तो २ साल के लिये भारत भ्रमण की बात कर रही थी..


तभी तो कहते है... राजनीति मे कुछ भी हो सकता है..

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