कल ही उत्तर प्रदेश की मुलायम सरकार ने नया फरमान जारी किया है कि राज्य के सभी विद्यालयो मे शिक्षको को पान,मसाला एवम धूम्रपान की आज्ञा नही होगी, यदि कोई शिक्षक ऐसा करता पाया जाता है तो उसके विरूद्ध अनुशासमत्क कार्यवाही की जायेगी.यह स्वागत योग्य निर्णय है.
लेकिन अग्रेजी मे किसी महानुभाव ने कहा है "सिगरेट पीने वालो के साथ हमे नर्मी बरतनी चाहिये, क्या पता यह सिगरेट उसकी आखिरी सिगरेट हो" (Be nice to ones who smoke...every cigarette might be their last) लेकिन हमारी उत्तर प्रदेश की मुलायम सरकार जाने क्यो राज्य के शिक्षको के पीछे पड़ी है, बोलती है कि स्कूल मे धूम्रपान करना और गुटखा,पान, पान मसाला खाना मना है.क्योकि इससे छात्रो पर बुरा असर पड़ता है, सही बात है, यूँ तो धूम्रपान बन्द कराना बहुत ही अच्छी बात है, लेकिन शिक्षको का तर्क है कि किसी भी चीज पर रोक तभी सम्भव है, जब दोनो पक्ष इस पर सहमत हो, फिर उनका कहना है कि सिर्फ हम पर ही क्यो, क्या विधान सभा मे पान,पान मसाला,गुटखा और धूम्रपान पर रोक है? क्या कानून बनाने वालो को तम्बाकू और सिगरेट नुकसान नही पहुँचाता?
बात तो वाजिब है, कहिये मुलायम सिंह जी, क्या जवाब है आपका?
Wednesday, September 29, 2004
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