Thursday, September 23, 2004

खाड़ी के प्रवासी भारतीयों की समस्याये

खाड़ी के देशों में रहने वाले प्रवासी भारतीयों की देश से सौतेले बर्ताव की शिकायत यूँ ही नहीं है. उनका कहना है कि जहाज़ के किराए का मसला हो या हवाई अड्डे पर जाँच का हर जगह उन्हें परेशानी उठानी पड़ रही है.

एक अनुमान के अनुसार खाड़ी देशों में रह रहे लगभग 35 लाख भारतीयों में से ज़्यादातर की आमदनी 300 डॉलर प्रति माह से अधिक नहीं है. इसके बावजूद यहाँ से भारत की उड़ान का किराया सबसे अधिक किरायों में से एक है.
प्रवासी दिवस में प्रवासी भारतीय पुरस्कार से सम्मानित ओमान के जाने-माने व्यापारी डॉक्टर पी मोहम्मद अली इन नागरिकों की भावनाओं को आवाज़ देते हुए कहते हैं, "ऐसा क्यों है कि कोलंबो होते हुए केरल जाना और कराची होते हुए मुंबई जाना ज़्यादा सस्ता है जबकि एयर इंडिया की सीधी उड़ानें कहीं महँगी हैं."

खाड़ी के देशो से भारत के लिये बजट एयरलाइंस और शिपंग सेवा आरम्भ होनी चाहिये, सच तो यह है कि प्रवासी भारतीयों के बारे में फ़ैसले वे लोग ले रहे हैं जिन्हें प्रवासी भारतीयो की समस्याओ के बारे में कुछ पता ही नहीं है

इतनी ही नहीं खाड़ी के देशों में रह रहे प्रवासी भारतीयों की माँग ये भी है कि उन्हें चुनाव में हिस्सेदारी मिले और संसद में प्रवासी भारतीयों का भी प्रतिनिधित्व हो. मगर इन माँगों पर भी ध्यान नहीं दिया गया.

डॉक्टर अली के अनुसार, "छोटे से छोटा श्रमिक देश के लिए एक आर्थिक सिपाही जैसा होता है और उसके हितों की रक्षा होनी चाहिए. फिर चाहे वो देश में हो या देश से बाहर."
दरअसल खाड़ी के देशों में रह रहे प्रवासियों को वहाँ की नागरिकता नहीं मिलती इसलिए उन्हें कभी न कभी लौटकर आना ही होता है. इसलिए इन लोगों की माँग है कि देश को इन्हें ख़ुद से अलग नहीं समझना चाहिए.

किराए के अलावा डॉक्टर अली कहते हैं कि कई स्तरों पर खाड़ी के देशों में रह रहे प्रवासी भारतीयों का शोषण होता है. वह कहते हैं, "खाड़ी देश के प्रवासी के साथ उसके यहाँ आने से पहले ही शोषण शुरू हो जाता है. सब उससे पैसा ऐंठना चाहते हैं. यहाँ तक कि जब वो अपने देश लौटता है तब भी हवाई अड्डे पर उतरने पर भी.

आशा है इस वर्ष के प्रवासी भारतीय दिवस मे इन समस्याओ पर ध्यान दिया जायेगा.

( साभार : BBCHindi.com)

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