पिछले कुछ हफ्तो मे हिन्दुस्तान की राजनीति मे बेहद नाटकीय घटनाक्रम हुए... हमने मिर्जा से प्रतिक्रिया चाही, जो अभी अभी ईद मनाकर लौटे है..
देखो बरखुरदार... अपनी साध्वी के दो ही शौक है, रूठना और गुस्सा करना...उमा भारती जो पहले रूठ कर पहाड़ो पर चली गयी थी... आडवानी के अध्यक्ष बनते ही बुलावा मिलने पर तपाक से दिल्ली लौटी.. तो किसी ने पूछा, उमाजी आप तो कह रही थी.. भारत दर्शन करेंगी, और दो साल तक राजनीति से दूर रहेंगी.. तो उमा का जवाब था, भाजपा का कार्यालय ही मेरा भारत है, और यही मेरा दर्शन,इसी के चक्कर लगा कर अपना भारत दर्शन का लक्ष्य पूरा कर लूंगी. और रही बार राजनीति से दूर रहने की, तो जब आडवानी जी जैसे योग्य व्यक्ति अध्यक्ष बने है तो उनके अधीन काम करने का मौका गवाना नही चाहती... दरअसल ये तो सब पर्दे के पीछे हुई सौदेबाजी थी... जिसके तहत उनको महासचिव का पद मिला. लेकिन इस पर भी वह लटक गयीं और प्रमोद महाजन से पंगा लेने लगी......वगैरहा वगैरहा...
कहते है ना विनाश काले विपरीत बुद्दी......इन्सान का वक्त खराब आता है तो गलतिया अपने आप होने लगती है... अपनी उमा फिर अपने गुस्से पर काबू नही रख सकी, और इस बार आडवानी के सामने गुस्सा दिखा दिया.. अरे कुछ तो ख्याल किया होता... बेचारे बुजुर्ग आडवानी वैसे ही भारतीय झगड़ा पार्टी से परेशान है, और ऊपर से ये मुसीबत, और पता नही किस खबीस ने मीडिया वालो को भी वहाँ पर बुला लिया था...लाइव कवरेज के लिये...... कांग्रेस वाले ऐसी गलती कभी नही करते.. सभी गालीगलौच वाली सभाओ से मीडिया वालो को हमेशा दूर रखते है.....हाँ रोना धोना और त्याग वाली सभाओ की लाइव कवरेज करवाते है........ सो इस सभा मे मीडिया वालो को काफी मसाला मिल गया.. सारे चैनल वालो ने हर एंगिल से उमा को सभा से जाते हुए दिखाया...बार बार,लगातार दिखाया... मेरी बच्ची से रहा नही गया, वो बोल ही पड़ी कि किस कम्पनी के कपड़ो का विज्ञापन है ये....बार बार दिखा रहे है...... यहाँ तक तो गनीमत थी... फिर चौरसिया पनवाड़ी से लेकर भीखू भिखारी तक की प्रतिक्रिया दिखाई गयी.......और तो और एक चैनल तो और आगे चला गया और उसने कुछ मनौवैज्ञानिक तक बुलवा लिये और उमा के पार्टी सभा के बहिष्कार के एक एक कदम को एनालाइज करवाया. और खोज की कि उमा को गुस्सा क्यों आता है?....धन्य हो प्रभू....इसे कहते है कवरेज.... लुटी पिटी भाजपा.. मौज ली पूरी दुनिया ने....
अब आडवानी को गुस्सा क्यो ना आता... बेचारे को कठोर निर्णय लेना पड़ा.... निकाल फेंका साध्वी को पार्टी से.......और तो और विश्व हिन्दु परिषद और संघ ने भी दुश्मनी निकालने मे कोई कसर नही छोड़ी... और साध्वी को अपने साथ शामिल होने का निमन्त्रण दे डाला...... इसे कहते है राजनीति. जब दोस्त यार ऐसे हो तो दुश्मन की कमी नही खलती कभी.
अब साध्वी फिर पहाड़ो पर चली गयी है.... शायद कुछ दिमाग ठन्डा हो जाये... लेकिन बहुत जल्दी वापस लौटेंगी और फिर किसी दिन भाजपा के कार्यालय मे दिखेंगी.... शायद किसी अच्छे मौके का इन्तजार है.....और फिर मीडिया वालो को इन्तजार होगा किसी और पंगे का.
इस बीच अपने मदन लाल खुराना, जो पुराने पंगेबाज है, राजस्थान के राज्यपाल रहते हुए भी वसुन्धरा से ही पंगे लेते रहे.. ये जनाब जब भी कुछ बोलते है तो कोई ना कोई फड्डा जरूर हो जाता है.......अब दिल्ली लौट आये है, शीला दीक्षित की नीन्द हराम करने........कहते है दिल्ली तो मेरा मंदिर है, जलेबी है, दिल का टुकड़ा है, दिल्लीवासी मेरे देवता और मै पुजारी........ अरे खुराना साहब क्यो लम्बी लम्बी फेंक रहे हो.....अभी अभी आये हो बैठो सांस लो... तेल देखो तेल की धार देखो.. फिर पंगे लो......ध्यान रखना... इस बार आडवानी जी अच्छे मूड मे नही है, हां.. बाद मे नही कहना कि बताया नही.
इस बीच भारत कोलकता मे खेला गया क्रिकेट का वन डे मैच पाकिस्तान से हार गया.... हमारे क्रिकेट एक्सपर्ट स्वामी बहुत परेशान है, प्रतिक्रिया देने के लिये....लेकिन अपना मिर्जा है कि उसको बोलने ही नही दे रहा... दूसरी तरफ यदि हम लम्बा लेख लिखते है तो ब्लागर भाई लोग बोलते है किंग साइज लिखते है.. इसलिये स्वामी की प्रतिक्रिया अगले लेख मे.
Tuesday, November 16, 2004
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1 comment:
उमाजी पहाङ कहां गयीं? वो तो सूप-डिनर के रहीं हैं.लोगों के कहने पर चलोगे तो एक दिन ब्लाग बंद करने को कहेंगे लोग.जो मन में आये लिखो.लोग झकमार के पढेंगे.पहली बार नहीं तो दुबारा में.नही तो मै हूं न.
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