क्या कभी आपने टीवी चैनल्स पर दिखाये जाने वाले प्रोग्राम्स के बीच मे दिखाये जाने वाले विज्ञापनो (TV Commercials) पर गौर किया है? यहाँ पर मै यह बात स्पष्ट कर देना चाहता हूँ कि हमारे यहाँ कुवैत मे सारे चैनल नही दिखाये जाते, सो मेरी जानकारी मे जितने विज्ञापन है, उन्ही मे से अपनी पसन्द बता रहा हूँ.
अभी रिसेन्टली मास्टरकार्ड का एक नया टीवी विज्ञापन देखा, जो पूरे यूरोप और मिडिलईस्ट मे दिखाया जा रहा है, काफी अच्छा है.इस विज्ञापन मे एक पेटू पति को उसकी पत्नी डाइट फूड पर रखती है, पति बहुत दूखी मन से खाना खाता है.पति जब शापिंग से लौट रहा होता है तो कार मे बैठा ढेर सारा फास्ट फूड खा रहा होता है,और घर लौटने पर फिर वही डाइट फूड बड़े शौंक से खाता है, फिर बताया गया है कि मास्टरकार्ड से सब कुछ खरीदा जा सकता है. लेकिन जब मै इन्डियन चैनल्स पर पर हिन्दी के विज्ञापन(TV Commercials) देखता हूँ तो लगता है कि दुनिया के सबसे अच्छे विज्ञापन भारत मे ही बनते है, उदाहरण के लिये मास्टरकार्ड का नया हिन्दी विज्ञापन देखा. मास्टरकार्ड के टीवी कमर्शियलस पूरी दुनिया मे बनते है.लेकिन मेरे विचार से आज तक का सबसे अच्छा मास्टरकार्ड का विज्ञापन भारत मे ही बना है.
इसके अलावा आइसीआइसीआइ बैक का "हम है ना" वाला भी बहुत अच्छा है, इसके अतिरिक्त मान्टे कार्लो कार्डोगन्स और रेमन्डस "द कम्पलीट मैन" के विज्ञापन तो सदाबहार है ही.कभी कभी कुछ और भी अच्छे लगते है, जैसे एशियन पेन्टस, दूसरी पेन्टस कम्पनीज के विज्ञापन, वीआईपी फ्रेन्ची,टाइटन, डायमन्ड ज्वैलरी वाले वगैरहा वगैरहा. नापसन्द विज्ञापनों मे पान मसाले,गुटके वाले, चाय वाले, और जी टीवी पर दिखाये जाने वाले तकनीकी रूप से कुछ कमजोर विज्ञापन जैसे बनियान,बाम वगैरहा वगैरहा.
इसके अलावा यूरोप मे भी काफी मे अच्छे विज्ञापन बनते है,मुझे पसन्द है फ्रान्स के विज्ञापन,फ्रांस के विज्ञापनो मे प्रिजेन्टेशन पर ज्यादा जोर दिया जाता है और दर्शको को सरप्राइज करने का माद्दा ज्यादा होता है, एक और बात वहाँ पर कोई भी विज्ञापन ज्यादा दिन नही चलता, कम्पनियाँ विज्ञापन जल्दी जल्दी बदलती रहती है.इसके अलावा मेरे को कुछ अलग तरह के विज्ञापन पसन्द है जैसे इंग्लेण्ड मे NGOs वाले, दान मांगने वाले वगैरहा वगैरहा. कुछ विज्ञापन देख कर लोग रो पड़ते है,और तुरन्त अपना फोन उठाते है मनी ट्रान्सफर के लिये जबकि विज्ञापन या तो अफ्रीका या फिर एशिया के लोगो की स्थिति के ऊपर होता है, और दान की विनती की गयी होती है. यूके मे लोग काफी लोग, विज्ञापन देख कर दान देते है.
बकवास विज्ञापनो मे अभी तक मैने कुछ पाकिस्तानी विज्ञापन देखे है, जो पूरी तरह से बकवास तो नही कहे जा सकते, लेकिन तकनीकी रूप से इतने कमजोर होते है, कि बात दर्शको तक ठीक तरीके से नही पहुँच पाती.
प्रोडक्ट बेचने वाली कम्पनियों के विज्ञापनो का उद्देश्य होता है कि दर्शक पहली बार विज्ञापन देखकर नोटिस ले, दूसरी बारे देखे तो मुस्कराये और तीसरी चौथी बार देखे तो प्रोडक्ट के बारे मे सोंचे और लगातार देखे तो खरीदने के लिये ना सिर्फ मन बनाये, बल्कि बजट भी बनाना शुरू कर दे.लेकिन सारे विज्ञापन ऐसे नही होते, कोई कोई विज्ञापन नकारात्मक सफलता हासिल करता है, जैसे ओनिडा का. ओनिडा वालों ने शुरू से ही नकारात्मक विज्ञापन बनाये जो काफी सफल रहे और यह ट्रेन्ड आज तक चालू है.
एक पहलू और भी है, कभी कभी वही विज्ञापन बार बार देखकर गुस्सा आता है और चैनेल बदलने या आवाज म्यूट करने की इच्छा होती है. लेकिन हमारे यहाँ तो और मुसीबत है, बेगम साहिबा को प्रोग्राम देखना होता है तो बेटी सिर्फ विज्ञापनो का इन्तजार करती है.
मैने तो अपने पसन्द के विज्ञापन बता दिये, आपकी पसन्द के विज्ञापन कौन से है?
Tuesday, November 30, 2004
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