Wednesday, November 24, 2004

डैमेज थैरेपी

क्या आपको काम की ज्यादा टेन्शन है?
क्या आपको आपका बास बहुत परेशान करता है ?
क्या आप किसी और घरेलू समस्या से परेशान है?

ऐसे कई सवाल हो सकते है, लेकिन इनका नया और निराला जवाब है डैमेज थैरेपी यानि तोड़फोड़ कीजिये और अपने तनाव से मुक्ति पाइये. मै कोई मजाक नही कर रहा हूँ, आप यहाँ खुद ही पढ लीजिये.

यह थैरेपी स्पेन मे पापुलर है, स्पेन में एक कबाड़ख़ाने ने लोगों को खुली छूट दी है कि वे जो चाहें तोड़ें-फोडें. आप कार, कंप्यूटर, फ़ोन या टेलीविज़न जो चाहें तोड़ सकते हैं, बस आपको अपनी जेब थोड़ी सी ढीली करनी होगी लगभग ढाई हजार रूपये तक. इसके बदले मे कबाड़खाने वाले आपको हथौड़ा,चश्मा और दस्ताने उपलब्ध करवायेंगे और बैकग्राउन्ड मे बजेगा राक म्यूजिक. आप को २ घन्टे की पूरी छूट है कि आप कबाड़खाने मे रखा कोई भी सामान तोड़ सकते है.

सबसे मजेदार बात यह है कि यहाँ पर आने वाले ज्यादातर लोग अपने साथ अपने बास का फोटोग्राफ लेकर आते है और उस फोटो को सामानो के ऊपर रखकर खूब मार कुटाई करते है.कबाड़खाने के प्रबन्धको का कहना है कि लोग जाते समय बहुत रिलेक्स और तनावमुक्त महसूस करते है.

एक महिला का कहना है कि उसने कबाड़खाने मे जाकर कार के उन हिस्सो को तोड़ा जो उस महिला की कार मे रोजाना दिक्कत दे रहे थे, सामान तोड़ने के बाद महिला ने अपने को तनावमुक्त महसूस किया. लगभग ऐसी ही तनावमुक्त करने की थैरेपी जापान मे भी उपलब्ध है.

हमने मिर्जा साहब से इस बारे मे प्रतिक्रिया चाही, और जानना चाहा कि भारत मे इस थैरिपी का क्या स्कोप है,मिर्जा बोले भारत मे यह थैरेपी तभी पापुलर होगी जब कबाड़खाने मे कबाड़ की जगह राजनेताओ के बुत रखे जायेंगे, क्योंकि सबसे ज्यादा लोग इन सबसे बहुत पीड़ित है. भारत मे लोग
जब अपने बास से पीड़ित होते है तो अपना गुस्सा घर जाकर पत्नी और बच्चो पर निकाल लेते है. अब गुस्सा निकालने के लिये भी पैसे देने पड़े तो सौदा जरा मंहगा है, फिर भी नयी नयी चीज है, थोड़ा टाईम लगेगा चलने मे, वैसे सारा मामला तो भेड़‍-चाल का है.

तो फिर क्या आप तैयार है? अपने बास का फोटो लेकर, और मेरे ख्याल से भारत मे ऐसे माहौल मे बैकग्राउन्ड मे यह गाना बजेगाः
आज ना छोड़ूंगा तुझे, दन दना दन,
तूने क्या समझा है मुझे दन दना दन......

आपका क्या कहना है इस बारे मे?


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