मेरा सभी पाठको से विनम्र निवेदन है कि चिट्ठे की प्रतिक्रिया कृपया करके चिट्ठे पर ही देने की कोशिश करे.अलग से इमेल ना करे. आइये अब बात करे पाठको की प्रतिक्रिया की. कई लोगो ने तारीफ कर के उत्साह बढाया है, कई लोगो ने आलोचना की है. पाठको की तारीफ और आलोचना दोनो सर माथे पर. आलोचना करने वालो ने जो बोला है, उसका मै जवाब देना चाहूँगा.मैने सवाल ज्यों के त्यों छाप दिये है... बिना किसी लाग लपेट के.
आप बीजेपी के पीछे क्यो. पड़े रहते है
ऐसा नही है, यदि आपने मेरे सारे चिट्ठे पढे हो तो आप पायेंगे कि मै समान रूप से सभी राजनीतिक पार्टीयो को धोता हूँ,वैसे मै आगे से विशेष ध्यान रखूंगा.
आप समाचारो मे बहुत Selective है.
यह सच है, मेरा चिट्ठा, विचार स्थल है, समाचार स्थल (news site) नही, समाचार के लिये बहुत सी अच्छी वैब साइट है, यहाँ मै सिर्फ अपने विचार आपके सामने रखता हूँ.
आप लम्बी लम्बी छोड़ते है
काहे भइया,कौनो लिमिट तो बन्धवाय नही हमऊ, सो छोड़ने दिया जाये.जहाँ ना झिले ऊहाँ टोका जाय.
आपके मिर्जा साहब, के.पी.सक्सेना के करैक्टर से मारे(चुराये) हुए है.
देखिये, सक्सेना साहब बहुत ही बड़े लेखक है और हमारे आदर्श भी, हमारा उनसे कोई मुकाबला नही. वैसे भी हमारे मिर्जा साहब कुवैत मे रहते है, इनकी आदते,व्यवहार और जीवनशैली सब कुछ अलग है. अब लखनवी है तो जबान तो लखनवी बोलेंगे ही ना.वैसे मै मौलिक होने की पूरी चेष्टा करता हूँ.
आपके मिर्जा साहब और छुट्टन मिंया काल्पनिक है या सचमुच के किरदार है.
क्यो भाई, अपने ट्रेड सीक्रेट आपको बता दें?, और सच बोले तो दोस्तो मे बदनाम हो, इसलिये हम तो चुप ही रहेंगे.आप तो बस मिर्जा और उनकी हरकते इन्जवाय करिये.असली नकली के चक्कर मे मत पड़िये.
अभी और कितने करैक्टर जोड़ेंगे?
शायद एक या दो और... देखिये रहिये.
आपका चिट्ठा शुरू तो हुआ था राजनैतिक विषयो पर, लेकिन आप भटक गये है.
देखिये हमे हर सब्जेक्ट पर कंसल्टेन्ट चाहिये.. इसलिये अभी करैक्टर्स का इन्टरोड्क्शन चल रहा है. जब पूरे हो जायेंगे तो हम फिर मतलब की बात पर वापस लौट आयेंगे.वैसे भी जबसे मिर्जा साहब हमारे चिट्ठे पर अवतरित हुए है, पेज हिट्स बहुत ऊपर चले गये है. सो पब्लिक डिमांड भी कोई चीज होती है, लेकिन हम अपने मुद्दे से कभी नही भटके.
आपके मिर्जा साहब सेक्स से रिलेटेड बाते नही करते क्या?
देखिये सारी बाते तो हम यहाँ छाप नही सकते.. हमारा चिट्ठा पूरा परिवार पढता है, काफी सारी मेल तो लेडीज की होती है, अब आप सेक्स की बाते छपवा कर उनको हमारे चिट्ठे से दूर करना चाहते है क्या?
आप लिखने के लिये समय कब निकालते है.
जीवन मे हास्य हमारे आस पास फैला रहता है, जरूरत है तो बस उसे देखने की.सुबह सुबह जब नित्य क्रिया मे होते है, तब आइडिया मिलते है... बीच बीच मे जब भी समय मिलता है, लिख लेते है. जब आफिस मे फ्री समय होता है, तब अपलोड कर देते है.
आप चिट्ठो को अलग अलग विषयो मे क्यो नही बाटँ देते.
मै इस पर विचार कर रहा हूँ, कोई सस्ता सुन्दर और टिकाऊ वैब साइट होस्टिंग वाला मिले तो बतायेगा.ये ब्लोगर तो बड़ा नटखट है, बहुत परेशान करता है.
आप इतना धाराप्रवाह कैसे लिख लेते है.
देखिये हम कानपुरी है, और धाराप्रवाह हिन्दी बोलते है,जैसे जैसे विचार मन मे आते जाते है, हम उन्हे ब्लाग मे उतारते जाते है.बस इतना करते है कि पहले ड्राफ्ट मे सेव करते है, खुद पढते है, जरूरी करैक्शन करते है, फिर पब्लिश कर देते है.फिर भी कुछ गलतियां तो रह ही जाती है, उसके लिये हाथ जोड़ कर क्षमा मांगते है.
आपकी उर्दू इतनी साफ कैसे है, आप मुस्लिम तो है नही?
अरे भइया, आपको किसने बोला कि उर्दू सिर्फ मुसलमान भाइयो की भाषा है, दरअसल उर्दू तो खालिस दिल की जबान है, जो मिठास उर्दू मे है, वो कंही और कहाँ, लेकिन हम हिन्दी और उर्दू को बराबर का सम्मान देते है, इसलिये जब भी उर्दू ज्यादा हो जाती है तो हम हिन्दी पर उतर आते है.और फिर हमारी मित्रता जब मिर्जा साहब से है तो वो तो उर्दू के मास्टर है.
आप शुद्द हिन्दी तो लिखते नही? फिर ये कौन सी भाषा है.
देखिये हमारा पहला उद्देश्य तो यह है, लोग हमारे ब्लाग को पढे और मुस्कराये.......हास्य का आनन्द ले, व्यंग को महसूस करे.... क्लिष्ठ हिन्दी लिखने लगे तो आप भी बिदक जायेंगे., फिर हम ब्लाग अकेले पढूंगा क्या?
अन्त मे बस इतना कहना चाहूँगा... ब्लाग को पढते रहे.... और सदा हंसते मुस्कराते रहे....जीवन मे परेशानियां तो आती रहती है, लेकिन अगर हम कुछ समय साथ मिलकर हँस सकें तो सारी परेशानियो का मुकाबला आसानी से कर सकेंगे. अगर मेरा ब्लाग पढकर किसी एक भी रोते हुए इन्सान के चेहरे पर मुस्कराहट लौट सकी तो अपना लिखा सफल मानूंगा.
अरे ये क्या हम तो बहुत ही सेन्टी हो गये है......अच्छा अब चला जाय........मिर्जासाहब इन्तजार कर रहे होंगे.
Tuesday, October 12, 2004
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1 comment:
हम तो कहते हैं जब मौज आ रही है तो कैरेक्टर असली हो या नकली, क्या फरक पड़ना है. अमां, आम से मतलब या गुठली से?
हम तो यही कहेंगे - झाड़े रहो कलक्टरगंज!
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