अब जब मै पप्पू भइया की कहानी बयां कर रहा था जो भौजी(मिसेज पप्पू) ने भी पढी, और मेरे को खासतौर पर बुलाकर कान उमेठते हुए समझाया कि कुछ ऐसा वैसा ना लिखें, नही तो उनसे बुरा कोई नही होगा. मै उनके रौद्र रूप से वाकिफ था अब भला मेरी हिम्मत कि मै भौजी से पंगा लूँ.इसलिये मेने जो स्टोरी ड्राफ्ट की थी उसको सम्पादित कर रहा हूँ, तब तक आप लेटेस्ट न्यूज पर मिर्जा के व्यूज झेलें.
अभी दो दिन पहले ही वीरप्पन भाई ने इस दुनिया को बाय बाय कहा....इस पर मिर्जा की राय..... वीरप्पन को आखिरी समय मे राजनैतिक नेताओ से दगा मिली, एश्योरेंस दिया था कि हमेशा ध्यान रखेंगे, लेकिन दगा दे गये....लगता है कोई हफ्ता टाइम से नही पहुँच पाया... खैर वीरप्पन दुनिया के लिये कितना ही बुरा क्यों ना हो.. लेकिन अपने एरिया के गांव वालो का पूरा ध्यान रखता था... यही उसकी सफलता का राज था.... जैसे इन्डियन राबिनहुड...फिर अब बुढापा भी आ गया था...... लेकिन पैसा बहुत बड़ी चीज होती है... इसलिये किसी साथी को लालच ले डूबा......जो अन्त का कारण बना......... वैसे वीरप्पनभाई ने अगर सही टाइम पर सरेन्डर किया होता तो आज किसी पार्टी के झन्डे तले सांसद और मन्त्री होते. खैर अब क्या सो सकता है.
मिर्जा एक और बात से दुखी है, बहुत से अपराधिक छवि वाले कुछ समाजसेवी(?) चुनाव जीत गये है, कल तक पुलिस जिनके पीछे पीछे घूमती थी,इनकाउन्टर करने का सोचती थी, अब उनके आगे आगे घूमेगी और सार्वजनिक सम्मान करने का सोचेगी..... क्या यही लोकतन्त्र है? कोई बड़ी बात नही अगर महाराष्ट्र मे मुख्य मन्त्री पद का मामला ज्यादा उलझने पर, निर्दलीय विधायक अपनी सरकार बना ले.. तो शायद ऐसे लोग मन्त्री भी बन जायें. उधर बिहार मे पप्पू भइया भी चुनाव जीत गये है..वो भी रिकार्ड मतो से...... अब तो सारा मामला उलझता जा रहा है.... कानून तोड़ने वाले ही कानून बनायेंगे..... अब कुछ भी नही हो सकता.
महाराष्ट्र के मुख्य मन्त्री के सवाल पर बोले कि कान्ग्रेस जो हर बार नये नये फार्मुले की वकालत करती है, शायद इस बार पंवार के आगे सरेन्डर कर दे...पंवार की ही जीत होगी और शायद भतीजे को मुख्यमन्त्री बनवा सकें..... अन्यथा केन्द्र मे पंवार की पार्टी को कुछ और मन्त्रीपद दिये जा सकते है.मैने पूछा मुख्यमन्त्री पद मे ऐसा क्या रखा है जो दोनो पार्टीयाँ लड़े जा रही है... मिर्जा को मेरे राजनीतिक ज्ञान पर हंसी आयी बोले बरखुरदार मुम्बई देश की बिजीनेस कैपीटल है सबसे ज्यादा कमाई वाली जगह सो राजनीतिक चन्दा(?) की उगाही भी सबसे ज्यादा यहीं से होती है, मुख्यमन्त्री जिस पार्टी का माल पर हक उसी पार्टी का, सबझे लल्लू.... मेरे ज्ञान चक्षु खुल गये और मेरे को दोनो आंखो से डालर ही डालर दिखाई देने लगे.
नवरात्री के गरबा उत्सव के बारे मे बोले... यह सब अब दिखावा हो गया है... कंही कोई धार्मिक भावना नही बची है, सबको अपनी अपनी ड्रेस,ज्वैलरी और अंग प्रदर्शन करना होता है. शुरुवात भले ही दुर्गा स्तुति से होती है, लेकिन धीरे धीरे मामला रिमिक्स से होते हुए चोली और उसके आगे तक पहुँच जाता है.मैने उनका ध्यान ज़ीटीवी की उस रिपोर्ट के बारे मे दिलाया जिसके अनुसार नवरात्री के समय गुजरात मे कन्डोम्स की बिक्री बढ जाती है और कुछ महीने के बाद गर्भपात की संख्या......मिर्जा बोले देखो रिपोर्ट के दोनो हिस्से कन्ट्राडिक्टरी है.....फिर भी मेरे को पक्का तो पता नही है.. लेकिन अगर जीटीवी कह रहा है तो बात मे कुछ तो सच्चाई होगी ही... बोले यदि ऐसा है तो लोगो को अपने बच्चो को गरबा उत्सव मे भेजने से पहले दस बार सोचना चाहिये.
अनुपम खेर वाले मामले पर मिर्जा बोले यार ये अनुपम भी खामंखा मे पिला जा रहा है... सबको पता है सरकार जब बदलती है तो हर जगह अपने अपने आदमी फिट करती है ....... इसमे कौन सी बड़ी बात है, बेकार मे ही बात दिल से लगा ली... हरकिशन सिंह सुरजीत के बारे मे बोले, बुजुर्ग है बेचारे कभी कभी कलम फिसल जाती है, वो तो लोगो के नाम ही भूल जाते है फिर काम के बारे मे थोड़े ही याद रखेंगे..... ....अनुपम भाई......छोड़ो यार, ये गन्दी राजनीति आपको रास नही आयेगी... करने दो इन नेताओ को अपनी मनमर्जी , बहुत दिनो बाद पावर मिला है ,छोड़ो आप जाओ अपना फिल्मी कामधाम सम्भालो........ ये सब बेकार की बाते है.
स्टार न्यूज के खुलासे(फिल्मी अभिनेत्रियो और माडल्स द्वारा राते गुजारने पर) मिर्जा खुलकर बोले... और बहुत सही बोले.....इसके बारे मे अगली बार....
टाइम काफी हो गया था सो मैने मिर्जा को नमन किया और आज के डोज के लिये धन्यवाद किया और निकल लिया पतली गली से.
Thursday, October 21, 2004
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