अब तीसरे दिन का खेल खत्म होने को आया, और जैसा कि लग ही रहा है, यह टेस्ट मैच अब भारत की पकड़ से बाहर है. जीतना तो बहुत दूर की बात है, ड्रा हो जाये तो गनीमत है. अब भारत की हालत देखी जाये तो बहुत ही पतली है, सारे बेट्समैन तो जैसे बैटिंग भूल चुके है, आखिरी के कुछ को छोड़ दें तो, सचिन की वापसी से भी टीम के किसी प्रकार के आत्मविश्वास मे कोई बढोतरी नही हुई है, आस्ट्रेलिया साढे चार-पांच सौ के आसपास का टारगेट दे कर इन्डिया को बैटिंग के लिये आमन्त्रित करेगा, और फिर वही आया राम गया राम..... ऊपर से तुर्रा ये कि दुनिया की सबसे अच्छी बैटिंग लाइनअप.
आस्ट्रैलियनस ने लक्ष्मन को तारीफ कर कर के मार डाला, ऊपर से शैन वार्न, की फिरकी, लक्ष्मन तो पूरे VVS (वैरी वैरी शर्मसार) हो गये है.
ओपनर तो पक्का है कि वन डे सोंच कर ही खेल रहे है, कोई बताये इन्हे कि ये फाइव डे मैच है.०००
द्रविद, अब तो जागो यार, नही तो ये मैच भी गया हाथ से.
सचिन, से अभी ज्यादा उम्मीदें नही रखनी चाहियें.
बाकी फिर बचा कौन, वही कैफ वगैरहा, बेचारा कितने रन बनायेगा, हर बार तो वही बना रहा है.
नतीजा शायद चौथे दिन ही निकल आये.
टीम को चाहिये, कि बैटिंग के बारे मे आराम से सोंचे और अपने सारे काम काज निबटाने के बाद ही फील्ड पर जायें, नही तो सबको लौटने की जल्दी रहती है.
सारे बैट्समैन तो वन डे की तरह से खेल रहे है, अब कोई चिपकू बैट्समैन ही इन्डिया की हार को बचा सकता है, कोई है आपकी नजर मे?
Thursday, October 28, 2004
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