Thursday, December 02, 2004

मिर्जा की फरमाइश

‍हमारे मिर्जा साहब की स्पेशल फरमाइशो पर इन्हे भी देखियें.....

मै रोया परदेस मे भीगा मां का प्यार
दुख ने दुख से बात की बिन चिट्ठी बिन तार
छोटा करके देखिये जीवन का विस्तार
आंखो भर आकाश है बाहों भर संसार
-निदा फाजली
पूरा यहाँ पढिये http://www.geocities.com/sumankghai/nida22.html


नज्म उलझी हुई है सीने मे
मिसरे अटके हुए है होठों पर
उड़ते फिरते है तितलियों की तरह
लफ्ज कागज पर बैठते ही नही
कब से बैठा हूँ मै जानम
सादे कागज पे लिख के नाम तेरा
बस नाम ही मुकम्मल है
इससे बेहतर भी नज्म क्या होगी

-गुलजार साहब

हाथ छूटे भी तो रिश्ते नही छोड़ा करते
वक्त की शाख से लम्हे नही तोड़ा करते
जिसकी आवाज मे सिल्वट हो, निगाहो मे शिकन
ऐसी तस्वीर के टुकड़े नही जोड़ा करते
शहद जीने का मिला करता है थोड़ा थोड़ा
जाने वालो के लिये दिल नही थोड़ा करते
लग के साहिल से जो बहता है उसे बहने दो
ऐसी दरिया का कभी रूख नही मोड़ा करते
-गुलजार साहब


4 comments:

Anonymous said...

There is a program available to convert from one font to another at

http://www.gitasupersite.iitk.ac.in/Rupantar/html/RupantarHelp.htm

So it is possible to convert from Susha to Unicode. If someone tries do let me know how are the results

Pankaj

Jitendra Chaudhary said...

पंकज जी,
मैने ट्रायल के लिये एक निदा फाजली साहब की एक गजल रूपांतरित की थी,
सुषा से UNICODE मे, (Text file मे कट एंड पेस्ट करके)
रिजल्ट बहुत अच्छे है...

अभी बाकी सारे आप्शन चैक कर रहा हूँ.... लगता है काम बन जायेगा...
धन्यवाद.....इस शानदार लिंक के लिये.

Anonymous said...

जिन खोजां तिन पाईयाँ।

पंकज

आलोक said...

पर्ल की मदद से ऐसा परिवर्तक लिखने के बारे में किसी को कोई जानकारी है क्या?